Bihar News: मोदी-नीतीश की जोड़ी ने खोला सीमांचल का गेटवे, पूर्णिया एयरपोर्ट से शुरू होगा बिहार के विकास का नया अध्याय

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Bihar News: मोदी-नीतीश की जोड़ी ने खोला सीमांचल का गेटवे, पूर्णिया एयरपोर्ट से शुरू होगा बिहार के विकास का नया अध्याय
Published : Sep 15, 2025, 6:15 pm IST
Updated : Sep 15, 2025, 6:15 pm IST
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Modi-Nitish duo opened the gateway of Seemanchal news in hindi
Modi-Nitish duo opened the gateway of Seemanchal news in hindi

डबल इंजन सरकार की विकास साझेदारी का प्रतीक, लालू राज में सीमित विकास के बाद नीतीश सरकार ने गति पकड़ी

Modi-Nitish  Opened the Gateway of Seemanchal News in Hindi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकदिवसीय दौरे पर आज बिहार के पूर्णिया पहुंचे। इस दौरान उन्होंने राज्य के लोगों को 40 हजार करोड़ की बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी। इसमें कोसी-मेची लिंक परियोजना परियोजना, कई ट्रेनों के साथ पूर्णिया एयरपोर्ट भी शामिल है। पीएम ने पूर्णिया से पीरपैंती में 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 24 सौ मेगावाट के थर्मल पावर प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी। इसके साथ ही, मखाना बोर्ड की भी शुरूआत की गयी। पीएम मोदी ने 40 हजार से अधिक प्रधानमंत्री आवास योजना लाभार्थियों के गृह प्रवेश समारोह में भी भाग लिया। साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों को 500 करोड़ रुपये वितरित किया।

एयरपोर्ट बनेगा पूर्वोत्तर बिहार की प्रगति का द्वार

पूर्णिया एयरपोर्ट का शुभारंभ केवल एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह बिहार के सीमांचल इलाके के लिए विकास का नया दरवाज़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साझा मौजूदगी ने यह साफ़ कर दिया है कि इस परियोजना को केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जा रही है।

पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जैसे जिलों के लोग लंबे समय से एयर कनेक्टिविटी की मांग कर रहे थे। अब उन्हें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे महानगरों तक सीधी उड़ानें मिलने लगेंगी।

साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के दौरान यहां एयरपोर्ट बनाने की घोषणा की थी.  एयरपोर्ट के लिए 69 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है. एयरपोर्ट पूर्व सैन्य हवाई अड्डा है, जिस पर तात्कालिक रूप से हवाई सेवा शुरू हो रही है. इसके निर्माण में 46 करोड़ रुपये की लागत आयी है.

कृषि से पर्यटन तक, विकास का हब बनेगा सीमांचल

पूर्णिया एयरपोर्ट का शुभारंभ केवल हवाई यात्रा का साधन नहीं है, बल्कि यह सीमांचल की अर्थव्यवस्था को नए पंख देने वाला कदम है। यहां की कृषि, उद्योग और पर्यटन को अब राष्ट्रीय और वैश्विक बाजार से सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। बिहार का कुल मक्का उत्पादन का 60 प्रतिशत अकेले सीमांचल में होता है, वहीं लगभग सालाना 8-10 लाख हेक्टेयर में जूट की खेती होती है। अभी तक किसानों को अपना मक्का और जूट से बने उत्पाद खपाने के लिए केवल राज्य के मंडियों या बांग्लादेश-नेपाल की सीमावर्ती मंडियों पर निर्भर रहना पड़ता था। एयर कार्गो सुविधा से अब सीधे दक्षिण भारत, मुंबई और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक मक्का एवं जूट की गनियां, बैग और धागा सीधे दिल्ली, मुंबई और दुबई जैसे बाजारों तक पहुंच पाएंगे। साथ ही एयरपोर्ट बनने से होटल, ट्रांसपोर्ट, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर में हजारों नौकरियां पैदा होंगी। एयरपोर्ट खुलने से सीमांचल में सालाना पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।

मोदी-नीतीश समीकरण का राजनीतिक और आर्थिक संदेश

यह प्रोजेक्ट राजनीतिक रूप से भी बड़ा संदेश देता है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साझा मौजूदगी यह दर्शाती है कि बिहार को केंद्र की प्राथमिकता सूची में जगह मिल रही है। जहां नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में बुनियादी ढांचे और सामाजिक योजनाओं पर ध्यान दिया, वहीं मोदी सरकार ने बड़े प्रोजेक्ट्स और निवेश आकर्षण पर फोकस किया। दोनों की यह विकास साझेदारी बिहार को केवल अंधकार और पिछड़ेपन की पहचान से बाहर निकालकर, नए भारत के विकास मॉडल में शामिल करने का काम कर रही है।

लालू सरकार बनाम नीतीश सरकार –आंकड़ों में अंतर

लालू सरकार के राज में बिहार में 14,468 किलोमीटर सड़कें थीं, वहीं 2025 में यह बढ़कर 26,000 किलोमीटर से अधिक हो गई हैं। राष्ट्रीय और राज्य उच्च पथों की लंबाई दो दशक में बिहार में सड़कों की लंबाई में दोगुनी वृद्धि हुई है। ऊर्जा क्षेत्र की चर्चा करें तो  2005 में जहाँ खपत 700 मेगावाट थी वहीं 2025 तक यह बढ़कर 8428 मेगावाट हो गई है। प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत भी लगभग 5 गुना बढ़कर 363 किलोवाट हो गई है। मुख्यमंत्री विद्युत संबंध निश्चय योजना के तहत सभी घरों को बिजली पहुंचाई गई है। 

सीमांचल से बिहार तक विकास की लहर

कुल मिलाकर कहें तो डबल इंजन की सरकार में सीमांचल का विकास इस पूरे परिवर्तन का प्रतीक है। अब सीमांचल को ‘पिछड़ेपन’ के बजाय संभावनाओं का केंद्र कहा जाएगा। यहां की कृषि, जूट उद्योग, मक्का उत्पादन और पर्यटन अब सीधे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ेंगे। डबल इंजन सरकार का यही लक्ष्य है—“जहां संसाधन हैं, वहां अवसर भी पैदा हों और जहां अवसर हैं, वहां से विकास की नई धारा बहे।”

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