
श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून गलत दिशा में भटक गया है...
Patna News In Hindi: पटना, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून गलत दिशा में भटक गया है, शराबबंदी कानून राज्य में गरीबों और वंचितों के लिए मुसीबत का कानून बनकर रह गया है, और खास करके यह कानून राज्य के दलित और पासी समाज के लिए अभिशाप साबित हुआ है।
2016 में शराबबंदी अधिनियम में ताड़ी को भी शामिल कर ताड़ी पर प्रतिबंध लगाया गया था, जो कहीं से भी उचित नहीं था, राज्य के पासी समुदाय पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक रूप से ताड़ी के व्यवसाय से जुड़े हुए थे, पासी समुदाय के लिए ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारना और ताड़ी बेचना एकमात्र अजिविका का साधन है, राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि राज्य की एनडीए सरकार को शराबबंदी अधिनियम से ताड़ी को अगल करना चाहिए, और ताड़ी पर लगे प्रतिबंध को हटाकर ताड़ी को कृषि का दर्जा देते हुए पासी समाज को ताड़ी विपणन और ताड़ी के व्यापार का अधिकार देना चाहिए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने भी यह टिप्पणी की थी कि राज्य की पुलिस, राज्य का उत्पाद विभाग, परिवहन विभाग सहित राज्य के प्रशासनिक तंत्र के लिए शराबबंदी कानून अवैध और काले कमाई का जरिया बनकर रह गया है। अग्रवाल ने कहा कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में राज्य के बाहर के शराब माफियाओं के सिंडिकेट कायम हो चुका है।
गांव - गांव तक सिंडिकेट के सदस्य है और गांव - गांव में अवैध रूप से शराब की बिक्री हो रही है। शहरों में शराब की होम डिलीवरी धड़ल्ले से की जाती है, शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बड़े पैमाने पर युवा पीढ़ी सुखा नशा और अन्य दूसरे नशे की आदि हो रहे है, यहां तक कि बड़े पैमाने पर ड्रग्स जैसे खतरनाक नशे की लत लोगों में लग रही है, उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत बिहार के जेलों में बड़ी संख्या में दलित और वंचित गरीब तबके के लोग बंद हैं, या सजा काट रहे है, जेल में बंद गरीब और दलित समुदाय के लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे अपना जमानत करवा पाए।
अग्रवाल ने कहा कि जो सामर्थवान और धनवान लोग हैं, विदेशी और महंगी शराब का सेवन करते हैं और पकड़े जाने पर तुरंत छुट जाते है, शराबबंदी के नाम पर मजदूरों और गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है। अग्रवाल ने राज्य की सरकार से यह कहा कि शराबबंदी केस में जितने भी गरीब और दलित वर्ग के लोग राज्य के जेल में बंद है सभी को जेल से रिहा कराने के दिशा में भी तत्काल प्रभाव से सार्थक कदम उठाना चाहिए। अग्रवाल ने इस बात को भी प्रमुखता से उठाया कि शराबबंदी अधिनियम 2016 में फिर से व्यापक समीक्षा की जरूरत है और इस कानून में कई और भी आवश्यक बदलाव की भी जरूरत है।
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