Chandigarh News: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जजों की कमी, लंबित मामलों की संख्या 4.28 लाख से अधिक

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Chandigarh News: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जजों की कमी, लंबित मामलों की संख्या 4.28 लाख से अधिक
Published : Apr 21, 2025, 6:53 pm IST
Updated : Apr 21, 2025, 6:53 pm IST
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Lack of judges in Punjab-Haryana High Court news in hindi
Lack of judges in Punjab-Haryana High Court news in hindi

वर्तमान में अदालत में 4,28,394 मामले लंबित हैं, जिनमें से 2,62,125 मामले सिविल और 1,66,269 मामले आपराधिक हैं।

Chandigarh News In Hindi: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय लगातार न्यायाधीशों की कमी और बढ़ते मुकदमों की समस्या से जूझ रहा है। अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 4.28 लाख से अधिक हो गई है, जबकि न्यायाधीशों की संख्या लगातार घट रही है। वर्तमान में न्यायालय में 85 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 51 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं। यह संख्या और भी कम हो सकती है, क्योंकि न्यायमूर्ति सुरेश ठाकुर और न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल इसी वर्ष सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि नौ अन्य न्यायाधीश भी 2026 तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

हाल ही में न्यायमूर्ति अरुण पाली को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह के 16 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायाधीशों की संख्या 53 से घटकर 51 रह गई है।
अगले साल सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीशों में मुख्य न्यायाधीश शील नागू, न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल, न्यायमूर्ति एसपी शर्मा, न्यायमूर्ति जीएस गिल, न्यायमूर्ति अनिल खेत्रपाल, न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई मेहता, न्यायमूर्ति अर्चना पुरी, न्यायमूर्ति सुखविंदर कौर और न्यायमूर्ति संजीव बेरी शामिल हैं।

हालांकि उच्च न्यायालय ने दो वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद पंजाब एवं हरियाणा के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के नाम पदोन्नति के लिए केंद्र को भेजे हैं, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होने में समय लग सकता है। वकीलों को न्यायाधीश नियुक्त करने की अंतिम सिफारिश उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा लगभग दो वर्ष पहले की गई थी।

वर्तमान में अदालत में 4,28,394 मामले लंबित हैं, जिनमें से 2,62,125 मामले सिविल और 1,66,269 मामले आपराधिक हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 82 प्रतिशत से अधिक मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के अनुसार, 18 प्रतिशत मामले एक वर्ष से कम समय से लंबित हैं, जबकि 17 प्रतिशत एक से तीन वर्ष, 8 प्रतिशत तीन से पांच वर्ष, 29 प्रतिशत पांच से दस वर्ष तथा 28 प्रतिशत दस वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।

बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट फिलहाल वकीलों के नामों पर विचार कर रहा है, लेकिन जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है। राज्य सरकार और राज्यपाल के अनुमोदन के बाद उच्च न्यायालय की सिफारिशें सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम को भेजी जाती हैं। इसके बाद फाइल विधि मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति के पास पहुंचती है और उनके हस्ताक्षर के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होती है।

(For More News Apart From Lack of judges in Punjab-Haryana High Court News In Hindi, Stay Tuned To Spokesman Hindi)

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ROZANASPOKESMAN

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