लोक भवन,कर्तव्य पथ और सेवा तीर्थ जैसे प्रतीक शासन को अधिकार से जिम्मेदारी की ओर ले जाने का संकेत देते।
New Delhi: देशभर के सभी राज्यों में राजभवन का नाम बदलकर अब इसे 'लोकभवन' कहा जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्रालय के निर्देश के बाद यह बदलाव औपचारिक रूप से लागू किया गया है। केंद्र में मोदी सरकार के 11 साल से अधिक समय में यह नाम बदलने का एक और उदाहरण है। इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण नाम बदले गए हैं, जैसे 'राजपथ' को 'कर्तव्य पथ' और 'प्रधानमंत्री आवास' को 'लोक कल्याण मार्ग'। (MHA writes to Governors and L-G’s to consider renaming Raj Bhavans as Lok Bhavans news in hindi)
गुजरात-महाराष्ट्र के राज्यपाल ने शेयर की तस्वीर गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि गुजरात राजभवन का नाम अब ‘गुजरात लोकभवन’ होगा।
गुजरात राजभवन का नाम अब ‘गुजरात लोकभवन’ होगा।
— Acharya Devvrat (@ADevvrat) December 1, 2025
यह परिवर्तन केवल नाम का नहीं, बल्कि जनसेवा की भावना को और गहराई से आत्मसात करने का संकल्प है।
लोकभवन - अर्थात जनता सर्वोपरि।
अब यह भवन केवल राज्यपाल का निवास नहीं, बल्कि नागरिकों, विद्यार्थियों, किसानों, शोधकर्ताओं, सामाजिक संगठनों… pic.twitter.com/YwMBhcXAPd
मोदी सरकार के इस कदम का स्पष्ट संदेश है कि सत्ता पद का उद्देश्य केवल लाभ उठाना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाना है। यह बदलाव केवल दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि सरकार की सोच जनता की सेवा करने वाली है, न कि केवल सत्ता चलाने वाली।
राजपथ से कर्तव्य पथ पहले इसे राजपथ कहा जाता था, जिसका अर्थ था राजाओं का मार्ग या शक्ति का प्रतीक। अब इसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है, जिसका अर्थ है ‘कर्तव्य का मार्ग’। यह संदेश देता है कि सत्ता कोई अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और सेवा का अवसर है।
प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास पहले रेस कोर्स रोड कहलाता था, जिसे 2016 में लोक कल्याण मार्ग नाम दिया गया - मतलब “लोक कल्याण का रास्ता”। यह नाम जनता के भले के लिए काम करने का भाव दिखाता है, न कि विशेषाधिकार या प्रतिष्ठा का।
सेवा तीर्थ प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) वाले नए परिसर को सेवा तीर्थ नाम दिया गया है - यानी “सेवा का पवित्र स्थान”। नाम यह बताता है कि यह जगह सेवा और समर्पण की भावना का केंद्र है। ताकि वह स्थान केवल प्रशासनिक केंद्र न होकर सेवा-प्रधान कार्यों का प्रतीक बने।
सेंट्रल सचिवालय से कर्तव्य भवन जो बड़ा प्रशासनिक केंद्र पहले सेंट्रल सचिवालय कहलाता था, अब कर्तव्य भवन कहलाएगा। यह नाम इस बात पर जोर देता है कि सरकारी पद कोई सम्मान नहीं, बल्कि जनता की सेवा का कर्तव्य है।
सेवा और ज़िम्मेदारी की नई सोच अब राजभवन को लोकभवन बुलाना दर्शाता है कि शासन की हर ईंट-पत्थर में "कर्तव्य" और "जनसेवा" का भाव जोड़ा जा रहा है। ये बदलाव ऐसे देखने में लोगों को प्रतीकात्मक लग सकते हैं, लेकिन असलियत में यह लोकतंत्र की दिशा बदलने वाली उस सोच को दर्शाता है।
नाम बदलना मतलब सोच बदलना
सरकारी संस्थाएं अब ‘सेवा’,‘कर्तव्य’और ‘जनता सबसे पहले’ के मूल्य को प्रदर्शित कर रही हैं। यह संकेत देता है कि भारतीय लोकतंत्र अब शक्ति और सम्मान से अधिक सेवा को प्राथमिकता दे रहा है। यह एक नई शुरुआत है, जिसमें सत्ता के बजाय जिम्मेदारी को महत्व दिया जाएगा।
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