Jharkhand News: रघुवर दास बताएं उनके समय में क्यों नहीं बनी पेसा नियमावली?: विनोद कुमार पांडेय

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Jharkhand News: रघुवर दास बताएं उनके समय में क्यों नहीं बनी पेसा नियमावली?: विनोद कुमार पांडेय
Published : May 29, 2025, 12:44 pm IST
Updated : May 29, 2025, 12:44 pm IST
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Why PESA rules were not made during his time?: Vinod Kumar Pandey
Why PESA rules were not made during his time?: Vinod Kumar Pandey

झामुमो का पलटवार, कहा – पेसा को लेकर आदिवासी समाज को गुमराह कर रही भाजपा

 Jharkhand News: रांची: झारखंड में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा हेमंत सरकार पर लगाए गए आरोपों पर सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता  विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि भाजपा और रघुवर दास आदिवासी समाज के मुद्दों को लेकर केवल राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, न कि समाधान देना।

 विनोद पांडेय ने कहा कि रघुवर दास को पेसा कानून की याद अब आ रही है, जबकि उनके पूरे शासनकाल में इस दिशा में एक भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने पूछा कि यदि उन्हें आदिवासी समाज की इतनी ही चिंता थी तो 2014 से 2019 के दौरान भाजपा सरकार ने पेसा कानून लागू क्यों नहीं किया? भाजपा नेता बताएं कि उन्होंने राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा आखिर कहीं पर सरना - आदिवासी धर्म कोड या पेसा नियमावली के लिए कोई पहल की है क्या ? 
 

भाजपा को आदिवासियों के स्वशासन से नहीं, सत्ता से मतलब है

झामुमो महासचिव ने कहा कि भाजपा को पेसा कानून की मूल भावना से नहीं, बल्कि इसे अपने एजेंडे के अनुसार मोड़ने में रुचि है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार पेसा नियमावली को लेकर गंभीरता से काम कर रही है और तमाम वैधानिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद अब अंतिम स्तर पर प्रक्रिया हो रही है।

उन्होंने कहा, "हमारे मुख्यमंत्री  हेमंत सोरेन स्वयं आदिवासी हैं, सरना धर्म को मानने वाले हैं, और भाजपा को यह रास नहीं आता। इसलिए वे समाज को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।

धर्म के नाम पर बांटने की साजिश

पांडेय ने भाजपा पर आदिवासी समाज को 'विदेशी धर्म' और 'मूल धर्म' के नाम पर बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह वही भाजपा है, जो आदिवासियों को ईसाई बताकर उनकी नागरिकता, रोज़गार और अधिकारों को संदेह के घेरे में खड़ा करती रही है।

अब पेसा कानून को धर्म की चादर में लपेटकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे," उन्होंने जोड़ा।

'रघुवर दास बताएं – उनके समय में क्यों नहीं बनी पेसा नियमावली?'

 पांडेय ने कहा कि रघुवर दास यह बताएं कि उनके शासन में पांच वर्षों तक पेसा कानून को लागू करने की कोशिश क्यों नहीं हुई? 2016 में जब केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी, तब झारखंड में पेसा लागू क्यों नहीं किया गया?

'आदिवासी पहचान और अधिकारों की रक्षा में झामुमो की भूमिका ऐतिहासिक'

झामुमो महासचिव ने कहा कि यह पार्टी ही थी जिसने झारखंड राज्य बनाया और हमेशा आदिवासी समाज की अस्मिता, भाषा, संस्कृति और स्वशासन के लिए संघर्ष किया। "हमने सरना कोड की आवाज़ संसद तक पहुंचाई है। 2020 में झारखंड विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया, जो आज तक केंद्र सरकार की फाइलों में दबा पड़ा है।"

'भाजपा आत्मचिंतन करे, भ्रम न फैलाए'

 विनोद ने अंत में कहा कि भाजपा को पेसा, सरना कोड, या आदिवासी समाज के अन्य अधिकारों पर बोलने से पहले आत्मचिंतन करना चाहिए कि उसने पिछले शासन में क्या किया।
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने अंत में कहा कि "आज जब हेमंत सरकार हर मोर्चे पर आदिवासी हितों को प्राथमिकता दे रही है, तो भाजपा के पेट में दर्द हो रहा है। लेकिन आदिवासी समाज अब समझ चुका है कि कौन उनके साथ है और कौन केवल उनके नाम पर राजनीति करता है

Location: India, Jharkhand, Ranchi

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ROZANASPOKESMAN

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