Punjab News: पंजाब में आई बाढ़ों की जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच किसी रिटायर्ड जज की अगुवाई में हो – सुनील जाखड़

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Punjab News: पंजाब में आई बाढ़ों की जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच किसी रिटायर्ड जज की अगुवाई में हो – सुनील जाखड़
Published : Sep 21, 2025, 3:59 pm IST
Updated : Sep 21, 2025, 3:59 pm IST
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An inquiry should be headed by a retired judge to determine responsibility for the floods in Punjab – Sunil Jakhar
An inquiry should be headed by a retired judge to determine responsibility for the floods in Punjab – Sunil Jakhar

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार ने हेडवर्क्स की क्षमता जांचने का ठेका एक ऐसी कंपनी को दिया जो सामाजिक विज्ञान से जुड़ी हुई थी।

Punjab News: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दिल्ली से चलाई जा रही पंजाब की आम आदमी पार्टी की नासमझ सरकार और उस अनुभवहीन कंपनी, जिसे सरकार ने हेडवर्क्स की सुरक्षा जांच का ठेका दिया था, को पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ों के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मांग की कि इन बाढ़ों की जांच किसी रिटायर्ड जज की अगुवाई में करवाई जाए।

उन्होंने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि केंद्र सरकार और भाजपा को बाढ़ों के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने के झूठे प्रचार के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी गई है, ताकि इस “झूठ की फैक्ट्री” के असली मालिकों का पर्दाफाश हो सके।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा बुलाया विधानसभा का सत्र सिर्फ असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि जांच का विषय यह होना चाहिए कि उस समय किस डैम से कितना पानी छोड़ा गया, डैम और हेडवर्क्स की मरम्मत कब हुई थी, और हेडवर्क्स की सुरक्षा जांच के लिए किस कंपनी को ठेका दिया गया। उन्होंने कहा कि इस झूठ के सहारे केंद्र सरकार और भाजपा को बदनाम करने वालों की जांच के लिए पुलिस को शिकायत दी गई है।

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तथ्यों को रखते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही रावी नदी से हुई, जिसमें पानी रणजीत सागर डैम से आता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि रणजीत सागर डैम पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में है और इसका न तो भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड और न ही केंद्र सरकार से कोई लेना-देना है। उन्होंने कहा कि 20 से 26 अगस्त के बीच रावी नदी के कैचमेंट एरिया में भारी बारिश की चेतावनी होने के बावजूद डैम से बहुत कम पानी छोड़ा गया, और सरकार के अपने दावे के अनुसार 27 अगस्त को 2.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। उन्होंने इस मौके पर मुख्य इंजीनियर का एक वीडियो भी मीडिया से साझा किया जिसमें उन्होंने कहा कि 4.70 लाख क्यूसेक पानी छोटे-छोटे नालों से आया। लेकिन जाखड़ ने कहा कि रणजीत सागर डैम और माधोपुर हेडवर्क्स के बीच कोई ऐसी नदी या नाला नहीं है, जहां से इतना पानी आ सकता हो। उन्होंने कहा कि असल में यह सारा पानी रणजीत सागर डैम से ही छोड़ा गया था, जो पंजाब सरकार के नियंत्रण में है।

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उन्होंने सवाल किया कि जब पानी माधोपुर हेडवर्क्स तक पहुंचने वाला था तो वहां पहले से सूचना देकर गेट क्यों नहीं खोले गए। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान कुल 45 जगह बांध टूटे, जिनमें से 42 सिर्फ रावी नदी पर थे और इस नदी का डैम पूरी तरह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।

एक और मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि माधोपुर हेडवर्क्स के गेटों की मजबूती जांचने का ठेका “लेवल 9” नामक कंपनी को दिया गया, जिसे हाइड्रोलॉजिकल साइंस का कोई अनुभव नहीं है और वह तो सामाजिक विज्ञान से जुड़ा रिसर्च कार्य करने वाली कंपनी थी। उन्होंने कहा कि कुछ निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित कर देने से सरकार अपने गुनाहों से नहीं बच सकती जिसने ऐसी कंपनी को ठेका दिया।

भाजपा अध्यक्ष ने और तथ्य रखते हुए कहा कि विधानसभा में जल संसाधन मंत्री ने कहा था कि बांधों को मजबूत करने के लिए 203 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। लेकिन असल में सरकार ने सिर्फ 80 करोड़ रुपये ही दिए। उन्होंने सवाल किया कि सरकार स्पष्ट करे कि 8 अगस्त तक इस 80 करोड़ के कामों में से कितने कामों के लिए वर्क ऑर्डर जारी हो चुके थे।

सुनील जाखड़ ने कहा कि राज्य में नदियों के किनारों की लंबाई 1000 किलोमीटर और 800 किलोमीटर सेम (नालों) की है, लेकिन सरकार ने समय पर न तो सेम नालों की सफाई करवाई और न ही नदियों के किनारे मजबूत किए। उन्होंने कहा कि सेम नालों की सफाई न होने के कारण हज़ारों एकड़ कीनू के बाग नष्ट हो गए और लुधियाना के ससराली इलाके में भी बाढ़ का कारण अवैध माइनिंग थी। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग में 12 हज़ार से ज्यादा कर्मचारियों को चार्जशीट किया गया है, और ऐसे माहौल में सरकारी कर्मचारी काम कैसे कर सकते हैं।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बेहतर होगा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में हो, ताकि असली कारणों का पता लगाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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