बजट उत्तर प्रदेश को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की 'नींव का पत्‍थर' : मुख्‍यमंत्री

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बजट उत्तर प्रदेश को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की 'नींव का पत्‍थर' : मुख्‍यमंत्री
Published : Feb 22, 2023, 3:16 pm IST
Updated : Feb 22, 2023, 3:16 pm IST
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The budget is the 'foundation stone' of making Uttar Pradesh a $1 trillion economy: Chief Minister
The budget is the 'foundation stone' of making Uttar Pradesh a $1 trillion economy: Chief Minister

आदित्‍यनाथ ने कहा कि प्रदेश की जनता पर कोई अतिरिक्त कर लगाए बगैर अर्थव्यवस्था के दायरे को बढ़ाया गया है।

लखनऊ : उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में वित्‍त वर्ष 2023-24 के लिये पेश बजट को राज्‍य को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की ‘नींव का पत्‍थर’ करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार जनता पर कोई नया कर लगाये बगैर वित्‍तीय अनुशासन और प्रबंधन के बल पर बजट के आकार को बढ़ाने में सफल रही है।.

मुख्‍यमंत्री ने वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना द्वारा विधानसभा में बजट पेश किए जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह बजट उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप उत्तर प्रदेश को अगले पांच साल के अंदर 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये नींव का पत्थर साबित होगा।''.

उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में तत्‍कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में प्रस्‍तुत बजट तीन लाख 40 हजार करोड़ रुपये का था। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद पिछले छह वर्षों के दौरान बजट में दोगुनी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय दोगुना से अधिक हो गई है। साथ ही प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी दोगुनी से ज्यादा वृद्धि हुई है।.

आदित्‍यनाथ ने कहा कि प्रदेश की जनता पर कोई अतिरिक्त कर लगाए बगैर अर्थव्यवस्था के दायरे को बढ़ाया गया है। इसके लिए कई कदम उठाने पड़े। वित्तीय अनुशासन का पूरा पालन किया गया है। राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखा गया है। प्रदेश में राजकोषीय घाटे की निर्धारित सीमा को साढ़े तीन प्रतिशत से कम करके 3.24 प्रतिशत तक करने में हमें सफलता मिली है।

उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में कर चोरी को रोका गया। वित्तीय अनुशासन और बेहतर वित्तीय प्रबंधन को प्रदेश में कैसे लागू किया जाए, इसमें शासन-प्रशासन स्तर पर और विभागीय स्तर पर काम हुआ जिसका नतीजा है कि जहां वर्ष 2016-17 में कर राजस्व सिर्फ 86 हजार करोड़ रुपये था, वह मार्च, 2023 में दो लाख 20 हजार करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।

मुख्‍यमंत्री ने कहा ''वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हमारी पार्टी ने प्रदेश की जनता से लोक कल्याण संकल्‍प पत्र में 130 वादे किए थे। आज यह बजट प्रस्तुत करने के साथ उनमें से 110 वादों को हम इसमें शामिल कर चुके हैं। पूरे बजट पर अगर आप ध्यान देंगे तो लगभग 64,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि लोक कल्याण संकल्प पत्र में घोषित संकल्पों के लिए समर्पित है।''.

उन्‍होंने कहा ''आज बजट भाषण में वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी कहा है कि वित्‍त वर्ष 2016-17 (तत्‍कालीन समाजवादी पार्टी सरकार के शासन ) में प्रदेश में बेरोजगारी दर 17-18 प्रतिशत थी। आज यह मात्र चार प्रतिशत रह गई है। प्रदेश में नए रोजगार सृजित हुए हैं और रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं।’’

मुख्‍यमंत्री ने कहा, ‘‘वर्ष 2016-17 के बजट में स्वयं के कर राजस्व का अनुपात केवल 33 प्रतिशत था। बाकी कर्ज के माध्यम से या फिर केंद्र सरकार पर निर्भरता के माध्यम से हुआ करता था या फिर उसके बारे में खामोश रहा जाता था। इसका मतलब यह है कि उस वक्त की घोषणाएं झूठी थीं। लेकिन आज इसके दोगुने से भी अधिक होने के बावजूद बजट का लगभग 46 प्रतिशत हिस्सा स्वयं के राजस्व के माध्यम से मिल रहा है।’’

आदित्‍यनाथ ने कहा कि एक नई योजना शुरू की जा रही है। उज्‍ज्‍वला योजना के एक करोड़ 74 लाख लाभार्थियों को होली और दीपावली पर एक-एक रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त दिया जाएगा। इसके लिये बजट में 3,047 करोड़ 48 लाख रुपये की व्‍यवस्‍था की गयी है।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर मूल्‍यवर्द्धित कर (वैट) को घटाया और प्रदेश की जनता को महंगाई से राहत दिलाई। इस वक्‍त प्रदेश में डीजल-पेट्रोल देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सस्ता है। पारदर्शी कराधान प्रणाली प्रदेश में लागू करने से कर चोरी को रोकने और राजस्व संग्रह को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे उत्तर प्रदेश ने राजस्व आधिक्य वाले प्रदेश के रूप में अपनी जगह बनाई है। इस बचे हुए राजस्व के जरिये हमने प्रदेश में मूलभूत और संरचना को बनाने में एक बड़ी भूमिका का निर्माण किया है।

आदित्‍यनाथ ने कहा कि इसके अलावा प्रदेश में वर्ष 2016-17 में आठ प्रतिशत बजट पुराने ऋणों के भुगतान में खर्च होता था। आज बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण मात्र छह प्रतिशत बजट ही पुराने कर्ज के भुगतान में खर्च किया जा रहा है। 

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