
फिलहाल कोर्ट में 4,28,394 मामले लंबित हैं, इनमें से 2,62,125 मामले सिविल और 1,66,269 आपराधिक हैं।
There is a shortage of judges in Punjab Haryana High Court News In Hindi: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट लगातार जजों की कमी और बढ़ते केसों की समस्या का सामना कर रहा है। अदालत में लंबित मामलों की संख्या 4.28 लाख से अधिक हो चुकी है, जबकि जजों की संख्या लगातार घटती जा रही है। मौजूदा समय में कोर्ट में 85 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 51 जज कार्यरत हैं। यह संख्या और भी घट सकती है क्योंकि इस साल जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस मंजरी नेहरू कौल रिटायर हो रहे हैं, वहीं 2026 तक नौ अन्य जज भी सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
हाल ही में जस्टिस अरुण पाली को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने और जस्टिस करमजीत सिंह के 16 अप्रैल को रिटायर होने के बाद जजों की संख्या 53 से घटकर 51 हो गई है।
अगले साल जिन जजों के रिटायर होने की संभावना है उनमें चीफ जस्टिस शील नागू, जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल, जस्टिस एसपी शर्मा, जस्टिस जीएस गिल, जस्टिस अनिल खेत्रपाल, जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता, जस्टिस अर्चना पुरी, जस्टिस सुखविंदर कौर और जस्टिस संजीव बेरी शामिल हैं।
हालांकि हाई कोर्ट ने दो साल के लंबे अंतराल के बाद पंजाब और हरियाणा के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के नाम पदोन्नति के लिए केंद्र को भेज दिए हैं, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होने में समय लग सकता है। वकीलों से जज बनाने की आखिरी सिफारिश हाई कोर्ट कालेजियम ने करीब दो साल पहले की थी।
फिलहाल कोर्ट में 4,28,394 मामले लंबित हैं, इनमें से 2,62,125 मामले सिविल और 1,66,269 आपराधिक हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 82 प्रतिशत से अधिक मामले एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं।नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, 18 प्रतिशत मामले एक साल से कम समय से लंबित हैं, जबकि 17 प्रतिशत एक से तीन साल, 8 प्रतिशत तीन से पांच साल, 29 प्रतिशत पांच से दस साल और 28 प्रतिशत मामले दस साल से अधिक समय से लंबित हैं।बताया जा रहा है कि हाई कोर्ट फिलहाल वकीलों के नामों पर विचार कर रहा है, लेकिन जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल है। राज्य सरकार और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद हाई कोर्ट की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट कालेजियम के पास भेजी जाती हैं। इसके बाद फाइल कानून मंत्रालय होती हुई राष्ट्रपति तक पहुंचती है, जिनके हस्ताक्षर के बाद ही नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होती है।
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