'धर्म के आधार पर भारत का विभाजन एक बड़ी भूल' Amit Shah का बड़ा बयान

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'धर्म के आधार पर भारत का विभाजन एक बड़ी भूल' Amit Shah का बड़ा बयान
Published : Oct 12, 2025, 2:12 pm IST
Updated : Oct 12, 2025, 2:12 pm IST
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Partition of India on the basis of religion was a big mistake Amit Shah News in hindi
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विभाजन का निर्णय जनता का नहीं, कांग्रेस की कार्यकारिणी का था- Amit Shah

Amit Shah Big Statement: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने धर्म के आधार पर देश के विभाजन को एक बड़ी भूल बताया है। नरेंद्र मोहन स्मृति व्याख्यान में उन्होंने कहा कि विभाजन का निर्णय देश की जनता का नहीं, बल्कि कांग्रेस कार्यसमिति का था। शाह के अनुसार, विभाजन के साथ-साथ कई अन्य गलतियां भी हुईं और अब मोदी सरकार उन गलतियों को सुधार रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि भारत का विभाजन अंग्रेजों की एक बड़ी साजिश थी। कांग्रेस कार्यसमिति ने विभाजन को स्वीकार करके इस साजिश को सफल बनाने का काम किया। इससे भारत माता की दोनों भुजाएं कटकर अलग हो गईं। शाह ने स्पष्ट किया कि भारत में हज़ारों वर्षों से अनेक प्रकार के धर्म रहे हैं, लेकिन धर्म के आधार पर कभी कोई विवाद नहीं हुआ। जैन और बौद्ध धर्म हज़ारों वर्षों से भारत में हैं, जबकि सिख धर्म सैकड़ों वर्षों से यहाँ मौजूद है। 

उन्होंने सवाल उठाया कि धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता का निर्धारण कैसे हो सकता है? शाह के अनुसार, धर्म और राष्ट्रीयता को अलग-अलग होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही आज सारे विवाद की जड़ है।

शाह ने घुसपैठ और शरणार्थियों के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि विभाजन के संदर्भ में, बांग्लादेश और पाकिस्तान में जिनके साथ अन्याय हुआ, वे शरणार्थी हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के समय की स्थिति को देखते हुए, पाकिस्तान में फंसे हिंदुओं को बाद में भारत आने और नागरिकता देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन यह वादा पूरा नहीं किया गया। शाह ने कहा कि गृह मंत्री होने के नाते, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस देश की धरती पर जितना मेरा अधिकार है, उतना ही पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं का भी है।

गृह मंत्री ने कहा कि विभाजन के दौरान हुई गलतियों को सुधारने का काम चल रहा है और इस संबंध में उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को चार पीढ़ियों तक नागरिकता नहीं दी गई, जिसके कारण वे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सरकारी सेवाओं से भी वंचित रहे। मोदी सरकार ने पहले उन्हें दीर्घकालिक वीज़ा दिया और फिर उन्हें नागरिकता देने के लिए सीएए लाया। शाह ने कहा कि विभाजन के संदर्भ में जिनके साथ अन्याय हुआ है, उनका स्वागत है।

1951 में तत्कालीन नेहरू सरकार द्वारा धर्म के आधार पर जनगणना कराने के फैसलों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस फैसले से भाजपा और जनसंघ का कोई लेना-देना नहीं था। उनके अनुसार, धर्म के आधार पर देश का विभाजन और धर्म के आधार पर जनगणना एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश का विभाजन नहीं हुआ होता, तो धर्म के आधार पर जनगणना की कभी जरूरत ही नहीं पड़ती।

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