
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इसने अब आबादी में फैलने वाली एक खामोश सुनामी का रूप ले लिया है।
by 2050 one-third of Indians will be obese: Expert News In Hindi : मोटापा भारत में सर्वाधिक ध्यान दिये जाने वाले और कम पता चलने वाले स्वास्थ्य संकटों में से एक के रूप में उभरा है और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इसने अब आबादी में फैलने वाली एक खामोश सुनामी का रूप ले लिया है।
‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक लगभग एक तिहाई भारतीय या लगभग 44.9 करोड़ लोग मोटापे से पीड़ित होंगे, जिसमें अनुमानित रूप से 21.8 करोड़ पुरुष और 23.1 करोड़ महिलाएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि मोटापा का सीधा संबंध ‘टाइप 2’ मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियों, फैटी लीवर, हार्मोनल विकारों, संतान पैदा करने में सक्षम न होना और यहां तक कि कुछ कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ने से है।
भारत में मधुमेह पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है, जो अनुमानित 10.1 करोड़ से अधिक है। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों का निदान कम उम्र में ही किया जा रहा है। एम्स के मेडिसिन विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि 20 और 30 की उम्र के लोगों में गैर-संचारी रोगों में खतरनाक वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण शरीर का वजन बढ़ना है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी विभाग के निदेशक और प्रमुख तथा एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एवं डीन डॉ. राजेश उपाध्याय ने कहा कि मोटापे की महामारी का तत्काल समाधान नहीं किया गया तो यह देश के स्वास्थ्य सेवा ढांचे और आर्थिक उत्पादकता पर असहनीय बोझ डालेगी।
उन्होंने कहा कि मोटापा अब व्यक्तिगत पसंद नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि आज यह देश में सबसे बड़े चिकित्सा जोखिम कारकों में से एक बन गया है।
उपाध्याय ने कहा, ‘‘मोटापा कोई दिखावटी समस्या नहीं है। यह एक नैदानिक, प्रणालीगत चिंता है जो फैटी लीवर, मधुमेह, जठरांत्र संबंधी जटिलताओं और हृदय रोग जैसी बीमारियों में वृद्धि का कारण बन रही है। अपने चिकित्सकीय परामर्श में, मैं हर दिन इसके परिणाम देखता हूं। इस संबंध में, हमें जागरूकता अभियानों से आगे बढ़कर स्कूलों, कार्यालयों, अस्पतालों और यहां तक कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में गहन निवारक सुधारों के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।’’
सर गंगा राम अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. मोहसिन वली ने कहा कि यह संकट खामोशी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके परिणाम विनाशकारी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत की खामोश सुनामी है। यह दिखाई नहीं देता, लेकिन इसका असर अस्पताल में भर्ती होने वालों, लंबी बीमारियों में वृद्धि और कम उम्र में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के होने से स्पष्ट है। हमें इसे राष्ट्रीय आपातकाल के रूप में देखना चाहिए। रोकथाम संस्थागत स्तर पर शुरू होनी चाहिए - हम स्कूल और अस्पताल की कैंटीन में क्या परोसते हैं, हम युवा चिकित्सकों को क्या सिखाते हैं और हम जोखिम की जांच कैसे करते हैं - इन सभी में बदलाव होना चाहिए।’’
(For More News Apart From by 2050 one-third of Indians will be obese: Expert News In Hindi , Stay Tuned To Spokesman Hindi)