Kanwar Yatra 2025 News: जानें कब शुरू हो रही कांवड़ यात्रा, क्या है इसका इतिहास और महत्व

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Kanwar Yatra 2025 News: जानें कब शुरू हो रही कांवड़ यात्रा, क्या है इसका इतिहास और महत्व
Published : Jul 9, 2025, 6:44 pm IST
Updated : Jul 9, 2025, 6:44 pm IST
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Kanwar Yatra 2025 Start Date Importance History Facts News in Hindi
Kanwar Yatra 2025 Start Date Importance History Facts News in Hindi

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को हो रही है।

Kanwar Yatra 2025 News In Hindi: हर हर महादेव! सावन का महीना आते ही यह पावन जयघोष दिशाओं में गूंजने लगता है। नारंगी वस्त्रों में लिपटे, कंधों पर कांवड़ उठाए भक्त जब पवित्र गंगाजल के लिए तीर्थों की ओर बढ़ते हैं, तो यह दृश्य सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि भक्ति, समर्पण और आत्मशुद्धि का ज्वलंत उदाहरण बन जाता है। कांवड़ यात्रा 2025 एक बार फिर इसी ऊर्जा और श्रद्धा के साथ आरंभ होगा। आइए जानें, इस दिव्य यात्रा का इतिहास, महत्व, मुख्य तिथियां, नियम और आवश्यक तैयारियों के बारे में संपूर्ण जानकारी।

कांवड़ यात्रा 2025: महत्वपूर्ण तिथियां

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को हो रही है। इसी दिन से कांवड़ यात्रा का प्रारंभ माना जाएगा। यह यात्रा मुख्य रूप से सावन शिवरात्रि तक चलती है। इस साल कांवड़ यात्रा का समापन 23 जुलाई 2025, बुधवार को सावन शिवरात्रि के दिन होगा। कुछ स्थानों पर कांवड़ यात्रा पूरे सावन माह भी जारी रहती है, ऐसे में उन स्थानों पर यह यात्रा 9 अगस्त तक चल सकती है।

कांवड़ यात्रा का आरंभ: 11 जुलाई 2025, शुक्रवार (श्रावण कृष्ण प्रतिपदा)

सावन प्रदोष व्रत: 22 जुलाई 2025, मंगलवार

सावन शिवरात्रि (कांवड़ यात्रा का समापन): 23 जुलाई 2025, बुधवार (श्रावण कृष्ण चतुर्दशी)

सावन माह का समापन: 9 अगस्त 2025, शनिवार

कांवड़ यात्रा का इतिहास और महत्व

कांवड़ यात्रा का संबंध हिंदू पुराणों में समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से बताया गया है। जब समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला और समस्त सृष्टि उसकी गर्मी से जलने लगी, तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव को शांत करने हेतु देवताओं और भक्तों ने उन्हें पवित्र नदियों का जल अर्पित करना शुरू किया। इसी परंपरा को स्मरण करते हुए सावन मास में भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है।

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान शिव के परम भक्त रावण ने कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर पुरामहादेव स्थित शिवलिंग पर चढ़ाया था, जिससे शिव को विष की पीड़ा से राहत मिली थी। उन्हें ही प्रथम कांवड़िया माना जाता है।

कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक तपस्या है। यह यात्रा न केवल ईश्वर भक्ति, बल्कि संयम, सेवा और साधना की भी परिचायक है। इसमें भक्त लंबी दूरी तक पैदल चलते हुए गंगाजल लेकर आते हैं और शिव को अर्पित करते हैं, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कांवड़ यात्रा के मुख्य पड़ाव और मार्ग

कांवड़ यात्री मुख्य रूप से हरिद्वार, गोमुख, गंगोत्री, देवघर आदि पवित्र स्थलों से गंगाजल लेकर अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं। ये जल अपने निकटस्थ शिव मंदिरों में या ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाते हैं। उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा का मुख्य मार्ग हरिद्वार से शुरू होकर विभिन्न शहरों जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, दिल्ली आदि से होकर गुजरता है। प्रशासन द्वारा कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं, जिसमें मार्ग डायवर्जन, हेल्थ कैंप और सुरक्षा बल की तैनाती शामिल है।

मेरठ में डायवर्जन प्लान (संभावित): मेरठ में 10 जुलाई की रात से भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। कांवड़ियों के लिए एक लेन आरक्षित रहेगी और शिविर मुख्य सड़क से 20 फीट अंदर लगाए जाएंगे।

कांवड़ यात्रा के नियम और सावधानियां

कांवड़ यात्रा एक कठिन और पवित्र यात्रा है, जिसके कुछ विशेष नियम होते हैं:

1. शुद्धता और सात्विकता: यात्रा के दौरान पूर्ण सात्विकता का पालन करें। मांसाहार, मदिरा, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू सहित किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें। अपशब्दों से बचें और मन में बुरे विचारों को न आने दें।

2. कांवड़ को जमीन पर न रखें: जब तक शिवलिंग पर जल न चढ़ जाए, कांवड़ को गलती से भी जमीन पर न रखें। विश्राम के समय इसे किसी स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटका सकते हैं। यदि कांवड़ जमीन पर रख दी जाए तो यात्रा अधूरी मानी जाती है और पुनः जल भरकर यात्रा शुरू करनी पड़ती है।

3. नंगे पैर यात्रा: अधिकांश कांवड़िए नंगे पैर यात्रा करते हैं। यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो आरामदायक चप्पल या जूते पहने जा सकते हैं।

4. मंत्र जाप और भजन: यात्रा के दौरान "ॐ नमः शिवाय" और "बम भोले" जैसे शिव मंत्रों का जाप करते रहें। शिव भजन-कीर्तन करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

5. सेवा भाव: रास्ते में अन्य श्रद्धालुओं की सहायता करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।

6. स्वास्थ्य का ध्यान: यात्रा लंबी होती है, इसलिए पर्याप्त पानी पिएं और हल्का भोजन करें। अपने साथ जरूरी दवाएं, प्राथमिक उपचार किट और व्यक्तिगत सामान रखें।

7. महिलाओं के लिए विशेष: महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कांवड़ यात्रा नहीं करनी चाहिए। यात्रा के दौरान सुविधाजनक वस्त्र पहनें, समूह में यात्रा करें और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। कई स्थानों पर महिलाओं के लिए अलग शौचालय और स्नानगृह की व्यवस्था की जाती है।

8. दिखावे से बचें: यह एक धार्मिक यात्रा है, दिखावा करने से बचें। सोशल मीडिया पर बार-बार तस्वीरें और वीडियो बनाने से बचें।

कांवड़ यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री

यात्रा पर जाने से पहले कुछ जरूरी चीजें साथ रखनी चाहिए:

गंगाजल पात्र: तांबे, पीतल या मजबूत प्लास्टिक का पात्र (ढक्कन सहित)।

भगवान शिव की प्रतिमा या फोटो: छोटी मूर्ति या तस्वीर, जिसे कांवड़ में स्थान दिया जा सकता है।

पूजा का सामान: धूप-बत्ती, माचिस, कपूर, रुद्राक्ष की माला, चंदन, भस्म, छोटा पूजा घंटा, सफेद फूल और एक पूजन थाली।

आरामदायक कपड़े: सूती और आरामदायक कपड़े (केसरिया या सफेद शुभ माने जाते हैं)।

अन्य आवश्यक वस्तुएं: पानी की बोतल, सूखे मेवे या हल्का भोजन, पावर बैंक, टॉर्च, बेल्ट बैग (जरूरी सामान रखने के लिए), आईडी प्रूफ, रेनकोट या प्लास्टिक शीट (बारिश के मौसम के लिए), और जरूरी दवाएं (जैसे सिर दर्द, पेट दर्द, बुखार की दवाएं, बैंडेज)।

कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्ति, तपस्या और आत्मसंयम का प्रतीक है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखने वाले लाखों भक्त हर साल इस यात्रा में शामिल होकर पुण्य कमाते हैं। आशा है यह जानकारी आपको कांवड़ यात्रा 2025 की तैयारी में सहायक होगी।

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Tags: kanwar yatra

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