
सीएम ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य क्षेत्रों की तरह वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है।
CM Dhami highlighted the financial needs of the state before the 16th Finance Commissio News In Hindi: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया और अन्य सदस्यों के साथ बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं पर राज्य का पक्ष विस्तार से प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की " ईको सर्विस कॉस्ट" के मद्देनजर "पर्यावरण संघवाद" की भावना के अनुरूप उचित मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया है। साथ ही, "कर-हस्तांतरण" में वन आवरण के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत बढ़ाने का सुझाव दिया है। राज्य में वनों के समुचित प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए विशेष अनुदान पर भी विचार किया जाना चाहिए।
सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार और राज्यों के बीच बेहतर वित्तीय समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित विशेष बैठक में उपस्थित वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया, आयोग के सदस्य ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, डॉ. सौम्य कांति घोष, सचिव ऋत्विक पांडे, संयुक्त सचिव केके मिश्रा से मुलाकात की। उत्तराखंड राज्य स्थापना के इस रजत जयंती वर्ष में देवभूमि उत्तराखंड आगमन पर मिश्रा का स्वागत किया गया ।
सीएम ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य क्षेत्रों की तरह वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य स्थापना के बाद राज्य को अपने आधारभूत ढांचे के विकास के लिए बाहरी ऋणों पर निर्भर रहना पड़ता था। जहां एक ओर राज्य ने विकास के विभिन्न मापदंडों के आधार पर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, वहीं बजट का आकार एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की एसडीजी सूचकांक रिपोर्ट में सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। राज्य की बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड 4.4 प्रतिशत की कमी आई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में 11.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वनों से आच्छादित होने के कारण दो प्रमुख चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां वनों के संरक्षण के लिए अधिक व्यय करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर वन क्षेत्र में अन्य किसी भी विकास गतिविधि पर रोक होने के कारण 'इको सर्विस कॉस्ट' भी वहन करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने 'पर्यावरण संघवाद' की भावना के अनुरूप उचित मुआवजा देने, 'कर-हस्तांतरण' में वन आवरण के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत बढ़ाने तथा राज्य में वनों के उचित प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए विशेष अनुदान देने का अनुरोध किया।
वर्ष 2010 में 'औद्योगिक रियायती पैकेज' की समाप्ति के पश्चात् 'स्थानीय असुविधा' को पूरा करने में कठिनाई आ रही है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों एवं अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बहुत सीमित है।
इसके चलते इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट प्रावधान किए जाने चाहिए। स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही टेली मेडिसिन, विशेष एम्बुलेंस सेवा और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करके राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का भी प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य है। इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने तथा राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को निरन्तर वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। राज्य में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने तथा आम नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित 'भागीरथ ऐप' की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के इन विशेष प्रयासों के लिए विशेष अनुदान पर विचार करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने के फलस्वरूप लागू किये गये नियमों के कारण उत्तराखण्ड में जल विद्युत उत्पादन की सम्भावनाएं सीमित हो गयी हैं। विभिन्न कारणों से जल विद्युत क्षेत्र अर्थव्यवस्था में अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहा है, जिससे राजस्व के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी भारी क्षति हो रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रभावित परियोजनाओं के लिए मुआवजे की राशि तथा संबंधित तंत्र निर्धारित करने का अनुरोध किया तथा कहा कि तीर्थ स्थलों पर आने वाली "फ्लोटिंग पॉपुलेशन" के कारण परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन तथा अन्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे का विकास करना पड़ता है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राज्य में बुनियादी ढांचे के निर्माण की उच्च लागत को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
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