Patna News: SIR के नाम पर 65 लाख मतदाताओं का नाम काटना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करना: तेजस्वी प्रसाद यादव

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Patna News: SIR के नाम पर 65 लाख मतदाताओं का नाम काटना, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करना: तेजस्वी प्रसाद यादव
Published : Aug 2, 2025, 6:52 pm IST
Updated : Aug 2, 2025, 6:52 pm IST
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sir in bihar tejashwi yadav election commission news in hindi
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चुनाव आयोग के द्वारा विधानसभा वार नाम काटे जाने की सूचना दी जा रही है।

Patna News In Hindi: पटना, नेता प्रतिपक्ष  तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने आवास 01 पोलो रोड, पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में चुनाव आयोग के द्वारा एसआईआर के नाम पर लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश की जा रही है।

जहां चुनाव आयोग बिना राजनीतिक दलों की सहमति के ही एसआईआर कराने का निर्णय लिया। वहीं चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के शिकायत और सुझाव को नहीं माना। जबकि इसके प्रक्रिया, टाइमिंग, दस्तावेज में आधार, जॉब कार्ड, राशन कार्ड और ईपीक नम्बर को शामिल करने का सुझाव राजनीतिक दलों की ओर से दिया गया था और इसी तरह की बातें चुनाव आयोग को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को दिया था ,लेकिन चुनाव आयोग ने न्यायालय की बातों को भी नहीं माना।

चुनाव आयोग के द्वारा विधानसभा वार नाम काटे जाने की सूचना दी जा रही है। इस तरह से कहीं न कहीं लोगों को भ्रम में रखा जा रहा है। चुनाव आयोग अगर ईमानदारी से मतदाता के प्रति कार्य किया होता तो बूथवार सूची जारी करता, जिससे कि सारे लोगों का विवरणी सामने आ जाता। कल इंडिया महागठबंधन की ओर से बिहार चुनाव आयोग से शिष्टमंडल मिला था लेकिन चुनाव आयोग ने किसी भी बातों को नहीं सूना और चुनाव आयोग का रवैया पूरी तरह से एकतरफा दिखा।

इन्होंने भागलपुर के सुलतानगंज विधान सभा का जिक्र करते हुए बताया कि पार्टियों को सूची तो उपलब्ध कराया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि किन कारणों से मतदाता के नाम काटे गये हैं। हर विधान सभा में 20 से 30 हजार मतदाता के नाम काटे गये हैं जो लगभग 8.50 प्रतिशत के करीब है। पूरे बिहार भर में 65 लाख से अधिक नाम काटे गये हैं।

चुनाव आयोग ने चालाकी से मतदाताओं के नाम भी काट दिये और उनकी सूची बूथवार नहीं उपलब्ध कराये गये। बहुत जगह तो ऐसा देखने को मिल रहा है कि मतदाताओं के नाम अंकित हैं लेकिन उनके इपिक नम्बर गायब हैं और ना ही उनका पता और बुथ नम्बर पता चल रहा है। चुनाव आयोग पूरी तरह से गोदी आयोग बन गया है। संदेह तब गहरा हो गया जब संख्या तो बता दी जा रही है लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि किन बूथों पर कितनी मौतें हुई और कितने लोग दूसरे स्थान पर शिफ्ट हुए और कितने लोगों के दो-दो स्थानों पर नाम थे। आखिर कौन सा तकनीक चुनाव आयोग ने अपनाया है कि आमजन परेशान हैं, लेकिन चुनाव आयोग इस मामले पर गंभीर नहीं है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश गुप्ता जी ये क्यों नहीं बता रहे हैं कि नाम किन कारणों से काटे गये और इसके लिए कौन से दस्तावेज उनके परिवारजन से मांगे गये। जब तक पारदर्शिता इस मामले में नहीं दिखे तबतक चुनाव आयोग समय-सीमा को बढ़ाये क्योंकि 65 लाख मतदाता जिनके नाम मतदाता सूची से काट  दिया गया है उनको अपील के लिए बहुत कम समय दिये जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने हर बार कहा था कि किसी का नाम नहीं कटेगा और जिनके नाम काटे जायेंगे उनको जानकारी दी जायेगी लेकिन किसी को जानकारी नहीं दी गई है। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय स्वत संज्ञान लें ,जिससे कि मतदाताओं के अधिकार भी सुरक्षित रहें और उनके साथ अन्याय न हो ।जिस तरह से बिना तथ्यों के चुनाव आयोग कार्य कर रहा है इससे साजिश स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। पहले से ही संदेह था कि बी.एल.ओ ने बिना दस्तावेज के मतदाताओं का गणना प्रपत्र अपलोड कर दिया है उसमें कितने लोग ऐसे हैं जिनका बिना दस्तावेज के अपलोड किये गये हैं उस सूची को भी चुनाव आयोग को जारी करना चाहिए।

इन्होंने आगे कहा कि बिहार के आई.ए.एस व्यास जी ने अपना और अपनी पत्नी का नाम काटे जाने की बातें ट्वीट के माध्यम से की है। चुनाव आयोग ने अपने मन से जिसका चाहा उसका नाम काट दिया और कारण भी बताना नहीं चाहते हैं जबकि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और इसका काम है मतदाता सूची में नाम जोड़ना और जिनका नाम काटना हो उनके नोटिस भेजकर उनसे कारण पूछना। लेकिन बी.एल.ओ किसी भी मतदाता के घर नहीं गये। उन्हें पावती रसीद नहीं दिया और अपने मन से लोगों का नाम अपलोड कर दिया। किन कारणों से मतदाता के नाम काटे गये हैं उसका जवाब ईमानदारी से बुथवार चुनाव आयोग दें। आखिर चुनाव आयोग अपनी जवाबदेही से भाग क्यों रही है और लोकतंत्र में बिना पार्टी के भागीदारी के लोकतंत्र कैसे मजबूत रहेगा।

नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि हमारे इपिक नम्बर आर ए बी 2916120 पर जब पत्रकारों के सामने अपना नाम चेक किया तो उसमें लिखा है नो फाउंड जो चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में अंकित नामों की प्रक्रिया वेबसाइट पर दी है, उसके अनुसार हमारे संबंध में ऐसी बातें आ रही है। इसका मतलब है कि चुनाव आयोग का वेबसाइट सही ढंग से काम नहीं कर रहा है।

इससे वोटर्स में असंमजत की स्थिति है इन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग के वेबसाइट पर हमारा नाम शो नहीं कर रहा है तो इसका मतलब है कि चुनाव आयोग फर्जी वेबसाइट चला रहा है। बिहार के बाहर जो लोग रह रहे हैं उनके साथ किस तरह की कठिनाई हो रही होगी इससे समझा जा सकता है। चुनाव आयोग बार-बार अपने ही गाइडलाईन और नियम को तोड़ रहा है और लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश चल रही है। इन्होंने कहा कि सब काम छोड़कर अपने वोटर लिस्ट में नाम तलाशने के लिए जो लोग कमाने के लिए  बाहर गए हुए हैं उन्हें बार-बार बिहार आना पड़ेगा। इस तरह का सिस्टम चुनाव आयोग के द्वारा चलाया जा रहा है।

इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में पूर्व मंत्री  आलोक कुमार मेहता, प्रदेश राजद के मुख्य प्रवक्ता  शक्ति सिंह यादव, छात्र राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नवल किशोर यादव एवं प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद उपस्थित थे।

(For More News Apart From CM inaugurated 71 police vehicles for Deputy Superintendent Police Traffic News In Hindi, Stay Tuned To Rozana Spokesman Hindi)

 

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